प्रसिद्द अमेरिकन नॉवेलिस्ट मार्क ट्वेन अपने उपन्यास के साथ साथ अपने तेज बुधि के लिए भी जाने जाते थे | आइये जानते हैं,Mark Twain Life Story In Hindi ,में और अपने ज्ञान के भंडार में एक जानकारी और जोड़ते हैं |
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Mark Twain Life Story In Hindi-मार्क ट्वेन जीवनी
अमेरिका के मिसिसीपी नदी के तट पर बसा हैनिबल गाँव | सूरज निकलते ही लोग अपने-अपने काम में लग गए | गली – कूचों में बच्चों का शोर गूँज उठा | अचानक नदी की तरफ से आई एक सीटी की आवाज ने सबको चौंका दिया | बच्चे नदी की ओर भागने लगे | उस दिन हैनिबल गाँव के नदी किनारे पर एक स्टीमर आया था | सब लोग उत्सुकता भरी नजर से उसे देख रहे थे | खासकर बच्चे | इन्हीं बच्चों में एक लड़के का नाम था – सैमुएल क्लीमेंस |
स्टीमर चलाने वाला व्यक्ति एक नाव पर सवार होकर, एक बड़े बांस के डंडे से पानी की गहराई नाप रहा था | फिर एक जगह उसने डंडे को गाड़ दिया | स्टीमर वहीं आकर रुक गया | लड़का क्लीमेंस नाविक के इस काम को बहुत ध्यान से देख रहा था | जैसे ही नाविक नाव से उतर कर नदी के किनारे पर आया, क्लीमेंस ने उसे रोक लिया | वह लड़का बड़ी बहादुरी से नाविक के पास आया और उससे पूछा, ‘इसे क्या कहते हैं ? लड़के का इशारा स्टीमर की तरफ था |
Mark Twain Life Story In Hindi-मार्क ट्वेन जीवनी
नाविक ने,, कहा ,,”’स्टीमर, इसमें बैठकर तुम नदी का सैर कर सकते हो,, इसकी मदद से नदी के इस पार से उस पार तक सामान भी लाया ले जाया जाता है | लड़का बोला ,”लेकिन आप बाँस से क्या नाप रहे थे ? नाविक बोला ,,” पानी की गहराई | स्टीमर वहीं पर खड़ा हो सकता है जहाँ पानी 2 फैदम गहरा हो | 2 फैदम यानी १२ फीट इस बाँस के डंडे में दो फैदम का ये चिन्ह बना है, जिससे हम पानी की गहराई नाप लेते हैं | इस निशान को ‘मार्क ट्वेन’ या दो फैदम का चिन्ह कहते हैं |
बड़े होकर शरारती क्लीमेंस ने बचपन के शैतानी भरे जीवन पर एक उपन्यास लिखा जो बच्चों में बेहद प्रसिद्ध हुआ।
सैमुएल क्लीमेंस को वह बाँस का डंडा और उस पर बना ‘मार्क ट्वेन’ यानी दो फैदम का निशान बहुत अच्छा लगा | नाविक को उस बालक की निर्भिकता बहुत पसंद आई |इसलिए नाविक ने उसे स्टीमर दिखाने और शैर कराने का वादा किया |
Mark Twain Life Story In Hindi-क्लीमेंस का जन्म
क्लीमेंस का जन्म फ्लोरिडा में सन 1835 में हुआ था | शरारत करने में क्लीमेंस का नाम पहले नंबर पर आता था | पढ़ने-लिखने में उन्हें कोई रूचि नहीं थी | जब क्लीमेंस बारह वर्ष का हुआ तो, उसके पिता की मौत हो गयी | अब क्लीमेंस को पढ़ाई के साथ मजदूरी भी करनी पड़ती थी | 22 वर्ष की उम्र में उसने एक नाव चलाने की नौकरी की | फिर उसे छोड़कर एक समाचार पत्र का एंकर बन गया | वर्ष 1870 में वह एक पत्रिका का संपादक बन गया | इसी बीच वह हास्य व्यंग्य की कहानिया लिखने लगा | एक दिन उसने सोचा कि अपने बचपन के शैतानी भरे दिनों पर एक उपन्यास लिखूं |
Mark Twain Life Story In Hindi-‘टॉम सायर’ उपन्यास की रचना
उसने ये उपन्यास एक अलग नाम नाम से लिखने के बारे में सोचा | तभी उसे ‘मार्क ट्वेन’ वाले बाँस के डंडे की घटना याद आई | और फिर उसने अपना नाम रखा लिया ,मार्क ट्वेन ; और उपन्यास का नाम रखा ‘टॉम सायर’। जब यह प्रकाशित हुआ तो उसे दुनिया भर के बच्चों ने पसंद किया | वह विश्व बाल साहित्य का कालजयी उपन्यास है | टॉम एक ऐसा चरित्र बन गया जो शरारती और नटखट होकर भी चतुर और चालाक है और उसे अच्छे काम करना भी पसंद है | आज मार्क ट्वेन के व्यंग्य भी अंग्रेजी साहित्य की एक धरोहर के रूप में जाने जाते हैं | टॉम सायर उपन्यास के पढ़ने वाले – बच्चों में बहुत कम को मालूम होगा कि उसके लेखक का नाम मार्क ट्वेन क्यों पड़ा |
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